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Showing posts from March, 2018

कसौंधन बिरादरी विवाह योग्य युवक-युवतियों की लिस्ट

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हमारा कसौधन समाज

कसौधन बिरादरी की सामान्य जानकारी जो समाज के हर सदस्य को पता होनी चाहिए। 1...कसौधन परिवार के आद्यादेवत महर्षि कश्यप जी है। कश्यप जी शंकर भगवान के अति प्रिय माने जाते है। 2..कश्मीर (कश्यप मीर )शब्द भी महर्षि कश्यप से बना है, वही उनकी तपोभूमि थी। 3...कसौधन समुदाय वालो का मूलस्थान कश्मीर ही है, फिर आगे समय के साथ सभी उत्तरप्रदेश और दूसरे राज्यो में बस गए। 4..फिर यही कसौधन फैज़ाबाद, सुल्तानपुर, गोरखपुर, बस्ती, गोंडा, कानपुर आदि अलग अलग जिल्हा वाले कहलाने लगे । 5...कसौधन जाती, वैश्य वर्ग में आता है 6... कसौधन बिरादरी वालो के पास पहले कांसे का धन बहुत अधिक मात्रा में था, जिनकी वजह से इन्हें "कांसोधन", और बाद में "कसौधन" पुकारा जाने लगा। 7...खेती और व्यापार इनका मुख्या आजीविका का साधन रहा है। 8.. कुछ जगहो पर कसौधन जाति का उल्लेख ब्राह्मण में भी होता है लेकिन ये मूलतः वैश्य वर्ग में आते है। 9..आठ गोत्र में एक "कश्यप" गोत्र भी शामिल है, कसौधन जाति इसी गोत्र में आता है। गोत्र का उपयोग शादीब्याह और अन्तिमसंसाकर विधि में महत्वपूर्ण माना गया है। यहाँ तक कि, ...
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श्री बागेश्वर भगवान जी की आरती

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श्री बगेश्वर नाथ जी की आरती 🏵 🏵 🏵 🏵 आरती श्री बागेश्वर जी की। जगत मातु-पितु हर गौरी की।। गिरिजा पति हैं सबके स्वामी। दीन बन्धु तुम अन्तर्यामी।। सेवक स्वामि सखा सिय पिय की ।१। आरती श्री बागेश्वर जी की। आशुतोष तुम अवढर दानी। ब्रह्मा विष्णु सभय सनमानी।। जग कारण पालक नाशक की ।२। आरती श्री बागेश्वर जी की। बागेश्वर कश्मीर से आए। शायर ग्राम पर कृपा दिखाए।। दक्ष गर्व भंजक त्रिपुरारी ।३। आरती श्री बागेश्वर जी की। बागेश्वर की जो आरती गावै। बसि कैलाश परम पद पावै।। स्वजन बन्धु के जीवन धन की ।४। आरती श्री बागेश्वर जी की। जगत मातु पितु हरि गौरी की।।

श्री महर्षि कश्यप जी की आरती

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🏵 🏵 🏵 🏵 आरती श्री मरीचि नन्दन की, जगत प्रकाशक सूर्य पिता की। अदिति पति हैं सृष्टि के कारक, सु कला सुत सब कष्ट निवारक। भल नंदन के पूर्व पिता की ।१। आरती श्री मरीचि नन्दन की। कश्यप कश्यप गोत्र प्रवर्तक, सप्त ऋषि हो धर्म नियंत्रक। वैवस्वतमनु पित्र पिता की ।२। आरती श्री मरीचि नन्दन की। कवि किशोर कश्यप गुण गायक, दशरथ सुवन राम पद पायक। सुर मुनि पूज्य पिता वामन की।३। आरती श्री मरीचि नन्दन की। कश्यप की जो आरती गावै, देश प्रेम वाको फिर भावै। जय जय जय भारत जननी की ।४। आरती श्री मरीचि नन्दन की, जगत प्रकाशक सूर्य पिता की।