हमारा कसौधन समाज
कसौधन बिरादरी की सामान्य जानकारी जो समाज के हर सदस्य को पता होनी चाहिए।
1...कसौधन परिवार के आद्यादेवत महर्षि कश्यप जी है। कश्यप जी शंकर भगवान के अति प्रिय माने जाते है।
2..कश्मीर (कश्यप मीर )शब्द भी महर्षि कश्यप से बना है, वही उनकी तपोभूमि थी।
3...कसौधन समुदाय वालो का मूलस्थान कश्मीर ही है, फिर आगे समय के साथ सभी उत्तरप्रदेश और दूसरे राज्यो में बस गए।
4..फिर यही कसौधन फैज़ाबाद, सुल्तानपुर, गोरखपुर, बस्ती, गोंडा, कानपुर आदि अलग अलग जिल्हा वाले कहलाने लगे ।
5...कसौधन जाती, वैश्य वर्ग में आता है
6... कसौधन बिरादरी वालो के पास पहले कांसे का धन बहुत अधिक मात्रा में था, जिनकी वजह से इन्हें "कांसोधन", और बाद में "कसौधन" पुकारा जाने लगा।
7...खेती और व्यापार इनका मुख्या आजीविका का साधन रहा है।
8.. कुछ जगहो पर कसौधन जाति का उल्लेख ब्राह्मण में भी होता है लेकिन ये मूलतः वैश्य वर्ग में आते है।
9..आठ गोत्र में एक "कश्यप" गोत्र भी शामिल है, कसौधन जाति इसी गोत्र में आता है।
गोत्र का उपयोग शादीब्याह और अन्तिमसंसाकर विधि में महत्वपूर्ण माना गया है।
यहाँ तक कि, जिनके गोत्र का कुछ पता नहीं होता है उन्हें 'कश्यप' गोत्र से ही विधि पूर्ण की जाती है।
10...कसौधन बिरादरी का विवाह कसौधन बिरादरी में ही रितिरिवाज से की जाती है। अक्सर विवाह चाँद को साक्षी मान कर किया जाता है, परंतु महानगरो में समय और जगहों के आभाव से शादी दिन में ही करा दिया जाता है।
11...कसौधन बिरादरी के लोग गुप्त, गुप्ता, कश्यप, कसौधन, परदेसी, महाजन, राणा, शाह, चौधरी जैसे सरनाम का उपयोग करते है।
12.. आज कसौधन परिवार देश, विदेश में, सरकारी या निजी, हर क्षेत्र में अपना योगदान दे रहा है चाहे वो राजनैतिक हो, सामाजिक, कला, विज्ञान, शिक्षा या व्यापार हो।
13... डॉ दाऊजी गुप्त अखिल भारतीय कसौधन समाज के अध्यक्ष है।
14..."वैश्य आउटलुक" नाम से कसौधन समाज को समर्पित एक पत्रिका राष्ट्रीय स्तर पर जबलपुर से श्री राकेश गुप्ता जी द्वारा प्रकाशित किया जाता है ।
15...आज कसौधन परिवार और देश की सेवा के लिये कई कसौधन सामाजिक संस्थाये कार्यरत है जैसे- कसौधन महासभा, वैश्य फेडरेशन, कसौधन इंटरनेशनल, दिल्ली कसौधन संघ, वैश्य कसौधन समाज, कश्यप कसौधन समाज आदि।
16....मुख्या स्थानक पर कसौधन समाज द्वारा धर्मशाला और मन्दिर का निर्माण किया गया है- वाराणसी, अयोध्या, चित्रकूट, फ़ैजाबाद, गोरखपुर आदि।
17...बहुत ही जल्द मुम्बई के पास कसौधन भवन का निर्माण कार्य शुरू होने वाला है।
18...कसौधन सदस्यों की जनसँख्या के सही आंकड़े अब तक प्राप्त नहीं हुवे है लेकिन एक अनुमान है क़ि इनकी जनसंख्या लगभग तीन करोड़ के करीब होगी।
19...अतिमसंस्कार - हिन्दू रितिरिवाज़ अनुसार ही अन्तिमसंस्कार अग्निदहन द्वारा किया जाता है।
कंही कंही केवल गायत्री मंत्र पढ़ कर भी अग्नि दी जाती है।
इनमे मृत आत्मा की शांति के लिए सोलहवा मनाया जता है।
20..आज व्हाट्सएप्प पर 500 से अधिक ग्रुप है और फेसबुक पर 100 से अधिक कसौधन बिरादरी के ग्रुप बनाते जा रहे है।
21...ज्यादातर ग्रुप, मंच, वेबसाइट विवाह संबंधित जानकारी की सेवा दे रहे है।
चुनौतियां-
आज इस समाज के सामने कई चुनौतियां है जैसे-
1-विवाह, योग्य जीवनसाथी ढूंढना
2- पुरानी रूढ़ परम्परा या मान्यता
3-आपसी मतभेद, जिसका भुगतान पुरे समाज को भुगतना पड़ता है।
4-राष्ट्रिय स्तर पर एक होने का आभाव
5-कार्य प्रणाली (modus operandii) या सिस्टम की कमी
6..सही नेतृत्व ( लीडरशिप) का आभाव
7..शिक्षा
8..woman empowerment की कमी
9.. जनसंख्या जानना
आदी ऐसे कई छोटे छोटे चुनौतिया हमारे सामने है।
इसे शेयर करने से ना कोई चमत्कार होगा ना ही कोई गुड न्यूज़ मिलेगा। लेकिन समाज की भलाई और उन्नति में आपका योगदान का लाभ ज़रूर मिलेगा ।
1...कसौधन परिवार के आद्यादेवत महर्षि कश्यप जी है। कश्यप जी शंकर भगवान के अति प्रिय माने जाते है।
2..कश्मीर (कश्यप मीर )शब्द भी महर्षि कश्यप से बना है, वही उनकी तपोभूमि थी।
3...कसौधन समुदाय वालो का मूलस्थान कश्मीर ही है, फिर आगे समय के साथ सभी उत्तरप्रदेश और दूसरे राज्यो में बस गए।
4..फिर यही कसौधन फैज़ाबाद, सुल्तानपुर, गोरखपुर, बस्ती, गोंडा, कानपुर आदि अलग अलग जिल्हा वाले कहलाने लगे ।
5...कसौधन जाती, वैश्य वर्ग में आता है
6... कसौधन बिरादरी वालो के पास पहले कांसे का धन बहुत अधिक मात्रा में था, जिनकी वजह से इन्हें "कांसोधन", और बाद में "कसौधन" पुकारा जाने लगा।
7...खेती और व्यापार इनका मुख्या आजीविका का साधन रहा है।
8.. कुछ जगहो पर कसौधन जाति का उल्लेख ब्राह्मण में भी होता है लेकिन ये मूलतः वैश्य वर्ग में आते है।
9..आठ गोत्र में एक "कश्यप" गोत्र भी शामिल है, कसौधन जाति इसी गोत्र में आता है।
गोत्र का उपयोग शादीब्याह और अन्तिमसंसाकर विधि में महत्वपूर्ण माना गया है।
यहाँ तक कि, जिनके गोत्र का कुछ पता नहीं होता है उन्हें 'कश्यप' गोत्र से ही विधि पूर्ण की जाती है।
10...कसौधन बिरादरी का विवाह कसौधन बिरादरी में ही रितिरिवाज से की जाती है। अक्सर विवाह चाँद को साक्षी मान कर किया जाता है, परंतु महानगरो में समय और जगहों के आभाव से शादी दिन में ही करा दिया जाता है।
11...कसौधन बिरादरी के लोग गुप्त, गुप्ता, कश्यप, कसौधन, परदेसी, महाजन, राणा, शाह, चौधरी जैसे सरनाम का उपयोग करते है।
12.. आज कसौधन परिवार देश, विदेश में, सरकारी या निजी, हर क्षेत्र में अपना योगदान दे रहा है चाहे वो राजनैतिक हो, सामाजिक, कला, विज्ञान, शिक्षा या व्यापार हो।
13... डॉ दाऊजी गुप्त अखिल भारतीय कसौधन समाज के अध्यक्ष है।
14..."वैश्य आउटलुक" नाम से कसौधन समाज को समर्पित एक पत्रिका राष्ट्रीय स्तर पर जबलपुर से श्री राकेश गुप्ता जी द्वारा प्रकाशित किया जाता है ।
15...आज कसौधन परिवार और देश की सेवा के लिये कई कसौधन सामाजिक संस्थाये कार्यरत है जैसे- कसौधन महासभा, वैश्य फेडरेशन, कसौधन इंटरनेशनल, दिल्ली कसौधन संघ, वैश्य कसौधन समाज, कश्यप कसौधन समाज आदि।
16....मुख्या स्थानक पर कसौधन समाज द्वारा धर्मशाला और मन्दिर का निर्माण किया गया है- वाराणसी, अयोध्या, चित्रकूट, फ़ैजाबाद, गोरखपुर आदि।
17...बहुत ही जल्द मुम्बई के पास कसौधन भवन का निर्माण कार्य शुरू होने वाला है।
18...कसौधन सदस्यों की जनसँख्या के सही आंकड़े अब तक प्राप्त नहीं हुवे है लेकिन एक अनुमान है क़ि इनकी जनसंख्या लगभग तीन करोड़ के करीब होगी।
19...अतिमसंस्कार - हिन्दू रितिरिवाज़ अनुसार ही अन्तिमसंस्कार अग्निदहन द्वारा किया जाता है।
कंही कंही केवल गायत्री मंत्र पढ़ कर भी अग्नि दी जाती है।
इनमे मृत आत्मा की शांति के लिए सोलहवा मनाया जता है।
20..आज व्हाट्सएप्प पर 500 से अधिक ग्रुप है और फेसबुक पर 100 से अधिक कसौधन बिरादरी के ग्रुप बनाते जा रहे है।
21...ज्यादातर ग्रुप, मंच, वेबसाइट विवाह संबंधित जानकारी की सेवा दे रहे है।
चुनौतियां-
आज इस समाज के सामने कई चुनौतियां है जैसे-
1-विवाह, योग्य जीवनसाथी ढूंढना
2- पुरानी रूढ़ परम्परा या मान्यता
3-आपसी मतभेद, जिसका भुगतान पुरे समाज को भुगतना पड़ता है।
4-राष्ट्रिय स्तर पर एक होने का आभाव
5-कार्य प्रणाली (modus operandii) या सिस्टम की कमी
6..सही नेतृत्व ( लीडरशिप) का आभाव
7..शिक्षा
8..woman empowerment की कमी
9.. जनसंख्या जानना
आदी ऐसे कई छोटे छोटे चुनौतिया हमारे सामने है।
इसे शेयर करने से ना कोई चमत्कार होगा ना ही कोई गुड न्यूज़ मिलेगा। लेकिन समाज की भलाई और उन्नति में आपका योगदान का लाभ ज़रूर मिलेगा ।
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